Self driving car explained in hindi | सेल्फ ड्राइविंग कार

हेलो दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम Self Driving Car के बारे में  बात करेंगे | आज मैं आपको self driving car से जुड़ी जानकारी दूंगा | दोस्तों एक समय था जब हम लोगों ने ऐसी कार की कल्पना भी नहीं की थी जो बिना ड्राइवर के चलेगी पर आज के समय में ऐसी कार बनाई जा रही है जो बिना ड्राइवर के चलेंगी | इन कारों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, सॉफ्टवेयर, सेंसर्स, कैमरा आदि का इस्तेमाल होगा आज के आर्टिकल में हम लोग Self driving car के ही बारे में बताएंगे |

Self Driving Car


Self Driving Car क्या होता है ?

दोस्तों सबसे पहले बात करेंगे कि Self Driving car क्या होती हैं ? जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है जो खुद से चलने वाली गाड़ी जिसमें ड्राइवर की जरूरत नहीं होगी और वह खुद चलेंगी | इसे autonomous vehicles भी कहते हैं | इस तरह की गाड़ियां सॉफ्टवेयर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, लेजर बीम, सेंसर, कैमरा इन सब की मदद से चलती हैं | पहले दोस्तों इस तरह की कार के बारे में हम लोगों ने सोचा तक नहीं था पर आज ऐसी कार बनाई जा रही है | ऐसे कई सारी कंपनियां हैं जो कि इस तरह की कार बना रही है और टेस्ट कर रहे हैं जैसे की Audi, BMW, Tesla, Google आदि यह सभी कंपनियां Self Driving car बना रही हैं और टेस्टिंग कर रही हैं |



Self Driving Car के  Levels

Self Driving car एक तरह की नहीं होती हैं | Sef Driving Car को 6 लेवल्स में डिवाइड किया गया है | अभी मैं यहां पर आपको एक-एक करके सभी 6 लेवल्स के बारे में बताऊंगा |

Level 0

दोस्तों सबसे पहले हम बात करेंगे लेवल जीरो की | दोस्तों लेवल जीरो के अंदर वह गाड़ियां आती हैं जो पूरी तरह से इंसान के कंट्रोल में होती हैं |हर चीज ऐसी गाड़ियों के अंदर इंसान कंट्रोल करता है |

Level 1

दोस्तों लेवल जीरो के बाद आता है लेवल वन | दोस्तों लेवल वन की गाड़ियों में ADAS होता है यानी कि एडवांस ड्राइवर असिस्टेंट सिस्टम, इसमें स्टेरिंग, एक्सेलरेटर इंसान हैंडल करता है | लेकिन कुछ कुछ चीजें अलग  होती हैं जैसे कि जब आप गाड़ी रिवर्स करते हैं तो अगर कोई ऑब्जेक्ट आता है तो गाड़ी हमें warn करती है और जब गाड़ी बहुत तेज चल रही होती है तो सीट  के vibration से हमें warn किया जाता है कि गाड़ी स्लो करो यह इस तरह की चीजें ADAS कंट्रोल करता है |

Level 2

दोस्तों अब बात करते हैं लेवल 2 की | लेवल 2 की गाड़ियों में आप एक्सेलरेटर और स्टेरिंग ऑटोमेटिक मोड पर रख सकते हो लेकिन आपको थोड़ा अलर्ट रहना पड़ेगा ध्यान देना पड़ेगा |

Level 3

अब बात करते हैं लेवल 3 की | लेवल 3 की गाड़ियों के अंदर सारे सॉफ्ट और क्रिटिकल फंक्शन कार खुद मैनेज करेगी लेकिन कुछ कुछ सिचुएशन में  कार का कंट्रोल आपको हाथ में लेना पड़ेगा |

Level 4

अब बात करते हैं level-4 की | इसमें सारे फंक्शन ADAS कंट्रोल करेगा लेकिन कभी-कभी एक्स्ट्रा क्रिटिकल कंडीशन आ जाएगी तो ड्राइवर को देखना पड़ेगा |

Level 5

अब बात करते हैं level-5 की | इस तरह की कार में सभी क्रिटिकल सिचुएशन कार खुद हैंडल करेगी | इसमें केवल आपको पैसेंजर की तरह बैठना होता है और जहां जाना है बता देना है सब चीजें हर तरह की कंडीशन को कार खुद मैनेज करेगी इस तरह की गाड़ियां अभी बन रही हैं और रिसर्च चल रही है | हम आशा करते हैं कि ऐसे गाड़ियां हमें जल्दी से यूज करने को मिले |


दोस्तों इस तरह की सभी गाड़ियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलती है जो भी कंपनी जो भी डेवलपर यह गाड़ियां बनाते हैं बहुत सारा डाटा इनपुट इमेज रिकॉग्निशन सिस्टम Neural नेटवर्क फॉर मशीन लर्निंग की मदद से यह गाड़ियां बनाते हैं | न्यूरल नेटवर्क डाटा में पेटर्न्स को देखा जाता है जो machine algorithm में काम आते हैं | रास्ते में जो भी साइन बोर्ड आते हैं ट्रैफिक लाइट्स आते हैं इंसान जानवर दूसरी गाड़ियां और भी कोई ऑब्जेक्ट यह सब चीजें गाड़ी में लगे हुए कैमरा डिटेक्ट करते हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से react करती है और डिसीजन लेती है के उसको फास्ट जाना है, स्लो जाना है, दाएं जाना है, बाएं जाना है, मुड़ना है, जो भी अलग-अलग कंपनी है जैसे कि गूगल टेस्ला ऑडी बीएमडब्ल्यू इन सब ने अपनी self-driving टेक्नोलॉजी develop की है |

लेकिन सभी टेक्नोलॉजी के अंदर cars के अंदर जो कैमरा होते हैं, radar होते है, sensor होते हैं, उनकी मदद से कार इंटरनल मैप क्रिएट करती है | गूगल के self driving car के प्रोजेक्ट को waymo कहा जाता है जो sensor की मदद से कार के आसपास चल रही चीजों को देखता है और उसके अकॉर्डिंग कार को कंट्रोल करता है जिससे कोई एक्सीडेंट ना हो और कार बिना रुकावट के चल पाए | अगर waymo की बात करें तो उसका प्रोसेस इस तरह है सबसे पहले एक डेस्टिनेशन सेट करना होता है कार का जो सिस्टम है वो पूरे रूट को कैलकुलेट कर लेता है कार के ऊपर एक घूमता हुआ डाटा सेंसर लगा होता है जो कार के आसपास 360 डिग्री में 60 मीटर रेंज में पूरे डाटा को कैप्चर करता है और उसके अकॉर्डिंग कार एक 3D मैप बनाती है  | रडार सिस्टम कार के आगे और पीछे के बंपर पर लगा होता है जो दूरी को आसानी से नाप लेता है जिससे कार हर चीज से डिस्टेंस मेंटेन करके चलती है | इसके अलावा कार में एआई सॉफ्टवेयर हर सेंसर से जुड़ा हुआ होता है यह सॉफ्टवेयर स्ट्रीट व्यू का डाटा और camera द्वारा जो डाटा कैप्चर किया हुआ होता है उसका इनपुट लेता है यह सॉफ्टवेयर गूगल मैप्स मिलकर हर डाटा को एनालाइज करता है तब जाकर कार साइन बोर्ड को ट्रैफिक लाइट को टर्न बोर्ड को अच्छी तरह समझ पाती है self Driving car में गूगल मैप का बहुत बड़ा रोल होता है |


कार में ड्राइवर तो होता नहीं है कोई इंसान तो होता नहीं है  तो कार  मैप के अकॉर्डिंग ही आगे बढ़ती है |

दोस्तों self driving car के कुछ फायदे भी हैं और कुछ नुकसान भी हैं | इसका main फायदा यह है कि इसकी  वजह से एक्सीडेंट बहुत कम हो जाएंगे क्योंकि कार इंसान नहीं चला रहा है | दोस्तों एक्सीडेंट के केस में क्या होता है कि कभी-कभी इंसान को गुस्सा आ रहा होता है, कभी-कभी इंसान को नींद आ रही होती है या उसने ड्रिंक कर रखी होती है तो ऐसे केस में एक्सीडेंट हो जाते हैं पर self driving car में ऐसा कुछ नहीं होगा | दोस्तों हम इंसानों के पास एक चीज ऐसी है जो इन रोबोटिक्स या self-driving car के पास नहीं है वह है कॉमन सेंस कार को उतना ही समझ में आएगा जितना उसको सिखाया गया है मतलब जितना उसमें प्रोग्रामिंग किया गया है दोस्तों जितना कार को बताया है और उसके बाहर कुछ हुआ तो दिक्कत हो आ जाएगी इस पर भी टेस्टिंग और रिसर्च चल रही है लेकिन दोस्तों इसका जो सबसे बड़ा नुकसान होगा वह होगा ड्राइवर को क्योंकि ड्राइवर की जॉब खत्म हो जाएगी |

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में इतना ही   |
धन्यवाद 

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