भगवान् कृष्ण ने राधा से शादी क्यों नहीं की ? | Bhagwan Krishan ne Radha se kyun nahin kiya Vivah ?

नमस्कार दोस्तों. आज के इस आर्टिकल में हम लोग बात करेंगे कि भगवान कृष्ण ने राधा से शादी क्यों नहीं की |

 आज  मैं आपको यही बताऊंगा कि ऐसे कौन से कारण थे जिसकी वजह से bhagwan krishan ne radha se vivah nahin kiya

 हेलो मित्रों जैसा कि आप सब जानते हैं कि भगवान कृष्ण और राधा का प्रेम इस दुनिया के लिए तथा इस समाज के लिए एक मिसाल है | आज के समय में भी निस्वार्थ प्रेमियों को देखकर लोग यही कहते हैं कि यह तो बिल्कुल राधा-कृष्ण जैसे हैं इनकी जोड़ी बिल्कुल राधा-कृष्ण जैसी लग रही है |


राधा कृष्ण की कहानी आज के समय में किसी से भी छुपी नहीं है | उनके अमर प्रेम की कहानी का उदाहरण आज भी पूरा संसार देता है | भगवान कृष्ण की राधा के साथ लीलाएं और राधा की कृष्ण के लिए दीवानगी इस बात का एहसास पूरी दुनिया को है |


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Krishan ne Radha se vivah kyun nahin kiya ?



 इस अटूट और निस्वार्थ प्रेम के कारण ही शायद राधा का नाम कृष्ण से पहले लिया जाता है परंतु इसके बावजूद भगवान कृष्ण ने राधा से विवाह नहीं किया | 

राधा कृष्ण का विवाह क्यों नहीं हुआ क्या आप इसकी वजह जानते हैं  ? क्या सच में राधा कृष्ण की शादी नहीं हुई  ?

राधा केवल भगवान कृष्ण की दीवानी बन कर रहे गई यह बात तो सोचने पर मजबूर करती है |

 कृष्ण के राधा से विवाह न करने के कारण

मित्रों भगवान कृष्ण ने राधा से विवाह नहीं किया इस बात का पुराणों में उल्लेख तो दिया गया है | लेकिन इसके अलग-अलग कारण बताए गए हैं | आज हम आपको उन्हीं कारणों के बारे में बताएंगे | 

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण एक कुशल कूटनीतिज्ञ थे लेकिन राधा तो वह दीवानी थी जिसे केवल प्रेम ही प्रेम समझ में आता है | कहा जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी तो बचपन में ही शुरू हो गई थी |



वैसे तो राधा कृष्ण से बड़ी थी लेकिन फिर भी उनके मन में भगवान कृष्ण के लिए प्रेम भाव जाग उठा | यह बात तो हर कोई जानता है कि भगवान कृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं मगर राधा को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है और वह हर अवतार में उनकी पत्नी बनकर धरती पर अवतरित होंगी | इस बात का उन्होंने प्रण लिया था |

 इसी वजह से यह तो तय था कि भगवान विष्णु हर अवतार में देवी लक्ष्मी से ही विवाह करेंगे | श्री कृष्ण लीला का वर्णन करने वाले गर्ग मुनि की रचना गर्ग संहिता की माने तो श्री कृष्ण जब नंद बाबा की गोद में खेल रहे थे तभी उन्हें एक अद्भुत शक्ति का आभास हुआ जो और कोई नहीं राधा थी वह तुरंत ही बाल्यावस्था छोड़कर यौवन अवस्था में आ गई थी |



 फिर उसी समय ब्रह्मदेव ने राधा कृष्ण का विवाह कर दिया | उसके बाद सब सामान्य हो गया विवाह के बाद ब्रह्मदेव और लक्ष्मी स्वरूप राधा जी दोनों अंतर्ध्यान हो गए और भगवान श्री कृष्ण वापस बाल्यावस्था में लौट गए |

दूसरे उल्लेख में एक तरफ राधा से विवाह के लिए भगवान कृष्ण का आग्रह था और दूसरी तरफ यशोदा और नंद की मर्यादा | फिर मैया यशोदा कृष्ण भगवान को समझाते हुए कहती हैं कि राधा तुमसे उम्र में बड़ी हैं और एक छोटे ग्वाला की पुत्री हैं और साथ ही साथ राधा का विवाह कंस के सैनिक से तय हो चुका है तो कृष्ण ने राधा से विवाह की जिद छोड़ दें | 


माता यशोदा के समझाने पर भी जब श्रीकृष्ण हठ करते हैं तो वह अपनी चिंता नंद बाबा को बताती हैं  | नंद बाबा अपने पुत्र को लेकर गर्गाचार्य और संदीपनी ऋषि के आश्रम में जाते हैं फिर संदीपनी ऋषि भगवान कृष्ण को समझाते हैं कि उनका जन्म धर्म की रक्षा के लिए हुआ है और वह अपने लक्ष्य से बिल्कुल ना भटके | फिर कृष्ण ने अपने गुरु से कहा उनका मन गांव ग्वाल जंगल में ही लगता है और वह वही रहना चाहते हैं  |


यह सब सुनकर गर्गाचार्य ने निश्चय किया कि अब समय आ चुका है कि भगवान कृष्ण को उनके जन्म के समय की सच्चाई बताई जाए | गर्ग आचार्य ने कृष्ण को उनके जन्म का राज बताते हुए कहा कि वह यशोदा और नंद बाबा के पुत्र नहीं है और उनका उद्देश्य संसार में धर्म की स्थापना करना है | उस समय की भविष्यवाणी के अनुसार उस महामानव की आने की जन्म तारीख और समय और वह श्री कृष्ण के सारे गुण से मेल खाते हैं  |



यह सब सुनकर भगवान श्री कृष्ण चुपचाप उठे और धीरे से गोवर्धन पर्वत की ओर चल पड़े पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचकर वह आकाश में डूबते सूर्य की तरफ देखते रहे | काफी घंटे बीतने के बाद जब वह नीचे उतर कर आए तो वह पूरी तरह से बदल चुके थे लोग उनको एक नए तरीके से देख रहे थे और उनके चरणों में गिर कर उनका नमन कर रहे थे |

 गांव वालों के प्रेम का सम्मान करते हुए और अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने से पहले एक आखरी बार उन्होंने एक भव्य रासलीला का आयोजन किया जहां उन्होंने खूब रास रचाया और अपने कमर से बांसुरी निकालकर राधा को देते हुए बोले यह बांसुरी अब तुम्हारी हुई |


 आज के बाद मैं कभी बांसुरी नहीं बजाऊंगा राधा समझ चुकी थी कि कृष्ण हमेशा के लिए धर्म के पथ पर निकल चुके हैं | फिर  राधा ने  कृष्ण को गले लगा कर विदा कर दिया उसके बाद भगवान कृष्ण द्वारका से कभी लौटे ही नहीं | राधा और कृष्ण इसीलिए शादी नहीं कर पाए |


एक और पौराणिक मान्यता यह भी है कि राधा और रुक्मणी एक ही थी | जैसे राधा कृष्ण के प्रेम में लीन थी  वैसे रुक्मणी भी कृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए सपने देखती थे | लेकिन रुकमणी के भाई ने उनका विवाह कहीं और तय कर दिया था लेकिन यह बात सुनते ही रुक्मणी ने अपने भाई से कह दिया कि अगर उनका विवाह श्री कृष्णा से नहीं हुआ तो वह अपने प्राण त्याग देंगी | 



 कृष्ण इस घटना से पहले रुक्मणी को नहीं जानते थे पर हैरानी की बात यह है फिर भी वह रुक्मणी से विवाह करने के लिए चले गए | इसका कारण यह था कि राधा को रुक्मणी का आध्यात्मिक अवतार माना जाता है और इसी के चलते राधा और रुक्मणी एक ही थी और इसके अनुसार कृष्ण का विवाह राधा स्वरूपी रुकमणी से ही हुआ |

अब आप जिस भी पौराणिक कथाओं की माने तो सरल शब्दों में यही बात है कि राधा और कृष्ण का विवाह सीधे तौर में नहीं हुआ परंतु दोनों ने एक दूसरे से ही जीवन भर प्रेम किया और संसार में अमर प्रेम की मिसाल बने गए |

आपका राधा कृष्ण के विवाह ना होने के बारे में क्या कहना है हमें कमेंट करके जरूर बताइए |

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