हाँ, मैं हूँ नालायक | Real Life Story
आज पापा के साथ मुझे एक पार्टी में जाना था। हाई-प्रोफाइल लोगों की भीड़, चमकते चेहरे, और दिखावे की दुनिया। मैं और पापा जैसे ही अंदर पहुंचे, लोग हमसे मिलने लगे। बातचीत के दौरान किसी ने मुझसे पूछ लिया—
"अच्छा बेटा, आजकल क्या कर रहे हो?"
मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया, "बस, एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहा हूँ।"
इतना सुनते ही पास खड़े लोग मुँह बना लेते हैं।
"अरे, इंजीनियरिंग करने के बाद भी ऐसी जॉब? लगता है कुछ आता-जाता नहीं।"
दूसरा आदमी ठहाका लगाकर बोलता है, "सही कहा! आजकल के लड़के सिर्फ डिग्रियाँ लेते हैं, दिमाग नहीं।"
मैं चुपचाप खड़ा था, लेकिन जो अगली बात हुई, उसने मेरे दिल को चीर कर रख दिया।
"अरे ये तो एकदम नालायक है," पापा खुद हंसते हुए बोले। "इसे कुछ नहीं आता।"
मेरे पापा की यह बात सुनकर वहाँ मौजूद लोग हंसने लगे। मुझे उनकी हंसी की परवाह नहीं थी, पर पापा की कही हुई बात... वो दिल में तीर की तरह चुभ गई।
मेरी आँख में आंसू थे मुझे रोना आ रहा था पर जैसे तैसे खुद को संभाला और अपने आंसू रोके।
Real Life Story |
तभी वहाँ दो लोग जो अब तक खामोशी से सब देख रहे थे, आगे बढ़े और बोले ।
"सर, अगर आपका बेटा नालायक है, तो हमें और हमारे समाज को ऐसे कई नालायक चाहिए।"
सबने चौंक कर उनकी ओर देखा।
उन्होंने कहा - "हम दोनों HR हैं, उसी कंपनी के, जहाँ इसने इंटरव्यू दिया था। क्या आपको पता है कि आपका बेटा कितना टैलेंटेड है ? "
तभी पार्टी में सन्नाटा छा गया।
"इसे हमारी कंपनी में बहुत ऊँचे पैकेज पर नौकरी मिली थी, लेकिन इसके लिए इसे बैंगलोर जाना पड़ता। हमने इसे ऑफर दिया, समझाया कि यहाँ से चार गुना ज्यादा सैलरी मिलेगी। पर इसने बिना एक पल सोचे इनकार कर दिया। हम दोनों को बहुत हैरानी हुई। इतने बड़े पैकेज के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, और ये खुद ही मना कर रहा था।"
मैं चुपचाप खड़ा था। लोग अब मेरे बारे में फुसफुसाने लगे। तभी उनमें से एक ने मुझसे सीधा सवाल पूछा—
" इतनी बड़ी जॉब छोड़ने की वजह क्या थी ? "
मैंने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "क्योंकि मेरे माँ-बाप मुझे छोड़कर बड़ी जॉब के लिए नहीं गए थे। तो मैं उन्हें छोड़कर क्यों जाऊँ ?
मेरे माँ बाप ने हमेशा मेरा साथ दिया और अब उन पर बुढ़ापा आने वाला है तो फिर मैं नौकरी के बहाने उन्हें छोड़ कर चला जाऊँ , ये मुझे मंजूर नहीं। इसलिए मैंने उस जॉब के लिए मना कर दिया। "
"अगर ये नालायकी है, तो हाँ, मैं हूँ नालायक "
मैंने उनकी आँखों में देखा और अपनी बात जारी रखी—
"आज के समय में सफलता का पैमाना सिर्फ पैसा बन गया है। लेकिन क्या बूढ़े माँ-बाप को अकेला छोड़कर पैसा कमाना ही सफलता है ? "
" जब मैं छोटा था, तब मेरे माता-पिता ने मेरे लिए सब कुछ किया । अब जब उन्हें मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है, तो मैं उनकी परवाह क्यों न करूँ ? "
"अगर छोटी नौकरी करके माता-पिता के साथ रहना नालायकी है, तो हाँ, मैं हूँ नालायक !"
पूरा हॉल खामोश था। वहाँ मौजूद हर इंसान शायद खुद से ये सवाल पूछ रहा था—
"क्या सच में सफलता वही है, जो हमें अपनों से दूर कर दे ? "
मेरे पापा की आँखों में आंसू थे। शायद पहली बार उन्होंने महसूस किया कि उनके बेटे को नालायक कहने की गलती उन्होंने ही की थी।
जब मैंने अपनी बात खत्म की, तो वहाँ खड़े लोग चुप थे। किसी के पास कोई जवाब नहीं था।
लेकिन तभी एक आदमी बोला, "बेटा, बात तो तुम्हारी सही है, लेकिन पैसा भी जरूरी होता है। बिना पैसे के माँ-बाप की देखभाल कैसे करोगे?"
मैंने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराकर कहा,
" बिल्कुल, पैसा जरूरी है। लेकिन क्या पैसा कमाने के लिए माँ-बाप को छोड़ना भी जरूरी है ? "
" अगर हम बैलेंस बनाकर पैसा भी कमा लें और अपने माता-पिता के साथ भी रहें, तो क्या यह सबसे बड़ी कामयाबी नहीं होगी ? "
" क्योंकि अगर पैसा जिंदगी की गाड़ी का इंजन है, तो माँ-बाप उसकी आत्मा हैं। इंजन के बिना गाड़ी नहीं चलेगी, लेकिन आत्मा के बिना वो गाड़ी सिर्फ एक बेजान मशीन होगी ! "
अब किसी के पास कोई जवाब नहीं था। इस बार खामोशी में एक सोच थी—क्या हमने अपनी सफलता को गलत पैमाने से तोलना शुरू कर दिया है?
पापा मेरी तरफ देख रहे थे, उनकी आँखों में हल्की नमी थी। शायद पहली बार उन्होंने महसूस किया कि कामयाबी सिर्फ पैसों से नहीं, अपनों के साथ होने से भी मापी जाती है।
मैंने पापा का हाथ पकड़ा और कहा,
" पापा, मैं पैसा कमाऊँगा, तरक्की भी करूंगा… लेकिन बिना आपको छोड़े। क्योंकि अगर अपने अपनों के बिना ही आगे बढ़ना है, तो वो सफलता नहीं, हार है ! "
पापा ने मेरी तरफ देखा, और पहली बार उन्होंने गर्व से कहा,
"हाँ, तू नालायक नहीं… तू दुनिया का सबसे समझदार बेटा है!"
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समाज से सवाल
आजकल समाज हर चीज को "सफलता" के तराजू में तौलता है। अगर कोई ऊँचे पैकेज पर काम कर रहा है, तो वह सफल है। अगर कोई छोटी नौकरी करके माता-पिता के साथ रहना चाहता है, तो वह कमजोर है।
लेकिन क्या सच में पैसा ही सफलता है ? क्या माता-पिता को अकेला छोड़ना जरूरी है?
शायद नहीं... क्योंकि अगर माँ-बाप का सहारा बनना नालायकी है, तो दुनिया के हर बेटे को नालायक होना चाहिए।
"सफलता का मतलब सिर्फ पैसा कमाना नहीं होता, बल्कि अपनों को साथ रखते हुए पैसा कमाना होता है!"
"अगर पैसा कमाना ज़रूरी है, तो अपनों का साथ बनाए रखना उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है!"
आपकी क्या राय है, कमेंट करके बताइये। -
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