भगवान् कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी थी तथा राधा की मृत्यु कैसे हुई ?

नमस्कार मित्रों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भगवान Shri Krishna ने अपने प्राणों से भी ज्यादा प्रिय अपनी बांसुरी को क्यों तोड़ दिया था ?

आखिर ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से भगवान कृष्ण ने अपनी बांसुरी तोड़ दी थी ?

 मित्रों, 
क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को यह बांसुरी अत्यंत पसंद क्यों थी ?

क्या आप जानते हैं कि राधा जी की मृत्यु कब और कैसे हुई थी ?

क्या आप जानते हैं कि भगवान कृष्ण ने अपनी पसंदीदा बांसुरी को क्यों तोड़ दिया था  ?

क्या आप जानते हैं कि श्री कृष्ण की इस बांसुरी को उन्हें किसने दिया था ?

इन सब सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलेंगे |



krishan ne apni bansuri kyun todi , radhi ki mrityu kaise hui
Krishan ne apni bansuri kyun todi ?



भगवान श्री कृष्ण को यह बांसुरी अत्यंत पसंद क्यों थी ?


 मित्रों भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी कोई साधारण बांसुरी नहीं थी वह चमत्कारी और शक्तिशाली बांसुरी थी | कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को सबसे ज्यादा प्रिय दो ही चीजें थी एक बांसुरी और दूसरी राधा | ये दोनों आपस में गहराई से एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं | जब भी संसार में प्रेम की मिसाल दी जाती है तो राधा कृष्ण का नाम सबसे पहले आता है |

भगवान श्री कृष्ण के जितने भी चित्र मिलते हैं उन सब में बांसुरी उनके साथ जरूर होती है | बांसुरी श्री कृष्ण के राधा के प्रति प्रेम का प्रतीक है | श्री कृष्ण  राधा जी से पहली बार अलग तब हुए थे जब कंस ने बलराम और श्रीकृष्ण को आमंत्रित किया था |

 मथुरा जाने से पहले श्री Krishan राधा से मिले और फिर उनसे दूर चले गए | भगवान कृष्ण ने राधा जी से कहा कि वह वापस आएंगे परंतु भगवान श्री कृष्ण राधा जी के पास वापस नहीं आए और फिर भगवान श्री कृष्ण की शादी रुक्मणी से हो गई |

कृष्ण के चले जाने के बाद राधा जी का वर्णन बहुत कम हो गया है | जब भगवान् कृष्ण जाने से पहले राधा से मिले थे तो राधा ने उनसे कहा था कि  भले ही वह उनसे दूर जा रहे हैं | लेकिन उनके मन में कृष्ण हमेशा उनके साथ ही रहेंगे | फिर कृष्ण - बलराम मथुरा गए और वहां पर कंस का वध करके उन्होंने प्रजा की रक्षा की | फिर उसके बाद प्रजा की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण द्वारका चले गए

भगवान् कृष्ण के जाने के बाद राधा जी की जिंदगी ने एक अलग ही मोड़ लिया | फिर राधा की शादी एक यादव से हो गई थी | राधा ने पत्नी के तौर पर अपने सारे कर्तव्य पूरे किए हैं और दूसरी तरफ भगवान श्री कृष्ण ने अपने सभी कर्तव्य निभाएं जिसके लिए भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतरित हुए थे |

राधा जी की मृत्यु कैसे हुई थी ?


अपने सभी कर्त्तव्य को भली-भाँति निपटाने के बाद राधा जी कृष्ण से मिलने द्वारका गयीं | | द्वारका में जब भगवान कृष्ण ने राधा को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुए तथा दोनों लोग संकेतों की भाषा में मन ही मन में एक दूसरे से बातें करने लगे |

 राधा को  द्वारका में कोई नहीं पहचानता था राधा जी के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें महल में एक सेविका के रूप में नियुक्त किया | राधा जी दिनभर महल में रहती थी और दिनभर महल से जुड़े कार्य देखती थी और मौका मिलते ही वह श्री कृष्ण के दर्शन कर लेती थी |

लेकिन राधा जी महल में कृष्ण से पहले जैसे आध्यात्मिक सम्बन्ध महसूस नहीं कर पा रही थी |

इसलिए राधा जी ने सोचा की वे महल से दूर जाकर दोबारा श्री कृष्ण के साथ गहरा आत्म संबंध स्थापित कर पाएंगी | फिर राधा केवल चली जा रहीं थी वो भी यह जाने बिना की वह कहाँ जा रही हैं ?    लेकिन भगवान श्री कृष्ण जानते थे | फिर काफी समय बीतने के बाद राधा बिल्कुल अकेली और कमजोर हो गई उस वक्त उन्हें भगवान श्री कृष्ण की आवश्यकता पड़ी |

अंत समय में भगवान श्रीकृष्ण राधा के सामने आये और राधा से कहा कि वह उनसे कुछ मांगे | लेकिन राधा ने इंकार कर दिया कृष्ण के दोबारा आग्रह करने पर राधा ने कहा कि वह आखरी बार अपने प्रिय श्री कृष्ण को बांसुरी बजाते हुए सुनना चाहते हैं | फिर भगवान श्री कृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद  सुरीली धुन बजाने लगे जब श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से आलोकित धुन बजाना शुरू किया तो राधा रानी जी को शांति मिली और पुराने दिनों के आनंद की अनुभूति हुई | फिर वहां पर राधा जी ने बांसुरी की धुन सुनते हुए ही अपने प्राण त्याग दिए अर्थात उनकी मृत्यु हो गयी |

भगवान कृष्ण ने अपनी पसंदीदा बांसुरी को क्यों तोड़ दिया था  ?


माना कि भगवान कृष्ण जानते थे कि उनका प्रेम अमर है | फिर भी वे राधा की मृत्यु बर्दाश्त नहीं कर सके और भगवान श्री कृष्ण ने अपनी प्रिये बांसुरी  तोड़कर झाड़ी में फेंक दी | इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने जीवन भर बांसुरी या और कोई वादक यन्त्र नहीं बजाया |

 और इस प्रकार परमात्मा और मनुष्य के अमर प्रेम के प्रतीक चिन्ह बांसुरी को श्री कृष्ण ने भारी मन और नम आंखों से तोड़ दिया |

श्री कृष्ण की इस बांसुरी को उन्हें किसने दिया था ?

आइए अब हम आपको बताते हैं कि श्रीकृष्ण को बांसुरी किसने दी थी | जब भगवान् कृष्ण का जन्म हुआ था उसके बाद सभी देवी देवता उनसे मिलने धरती पर आने लगे तभी भगवान् शिव ने सोचा कि उन्हें भी अपने प्रिये भगवान् के बाल स्वरुप के दर्शन करने चाहिए |

 लेकिन वे कुछ सोचकर रुके कि अगर वो उनसे मिलेंगे तो उन्हें उपहार में क्या देंगे तभी महादेव शिव को कुछ याद आया कि उनके पास ऋषि दधीचि की हड्डी पड़ी है | 

ऋषि दधीचि वही महरिशी हैं जिन्होंने अपने धर्म के लिए अपने शरीर को त्याग दिया था और अपने शक्तिशाली शरीर की सभी हड्डियां दान कर दी थी | हड्डियों की सहायता से विश्वकर्मा ने 3 धनुष और इंद्र के लिए बज्र का निर्माण किया था | महादेव शिव जी ने उस हड्डी को घिस कर एक बांसुरी बनाई | 

जब भगवान श्री कृष्ण से मिलने शंकर जी गोकुल पहुंचे फिर शंकर भगवान ने भेंट स्वरूप कृष्ण भगवान को वह बांसुरी दे और उन्हें आशीर्वाद दिया | 
तभी से भगवान श्री कृष्ण वह बांसुरी को अपने पास रखते हैं |

मित्रों अगर आपको यह पौराणिक कथा पसंद आई है तो इसे अपने मित्रों में जरूर शेयर करें और यदि आपके मन में इस आर्टिकल से जुड़ा हुआ कोई प्रश्न या कोई सुझाव है तो आप हमें कमेंट करके बता दीजिए या फिर हमें मेल कर दीजिए |