"जो देते हैं, उन्हें भी मिलता है – इंसानियत और विश्वास की एक सच्ची कहानी"


कभी-कभी ज़िंदगी हमें ऐसे सबक सिखाती है, जो किताबों में नहीं मिलते। यह कहानी भी एक ऐसे ही अनुभव की है, जिसने मुझे यह सिखाया कि अगर आप किसी की मदद दिल से करते हो, तो वो मदद किसी न किसी रूप में आपके पास ज़रूर लौटकर आती है। जब आप मुसीबत में होंगे तो ऊपर वाला आपकी मदद के लिए भी किसी न किसी को सही समय और सही जगह पर भेजेगा। 


शुरुआत एक दोस्ती से हुई


ये सब कुछ फेसबुक से शुरू हुआ। ऑनलाइन बातचीत के दौरान मेरी पहचान एक लड़की से हुई। वो बस एक साधारण दोस्त थी, लेकिन जैसे-जैसे बातचीत बढ़ी, मुझे उसकी ज़िंदगी के बारे में और जानने को मिला।


एक दिन बातों-बातों में पता चला कि उसके घर के हालात अच्छे नहीं थे। पैसों की तंगी थी, और इसी वजह से कॉलेज की पढ़ाई भी अधर में लटकी हुई थी। वो अपनी फीस भरने में असमर्थ थी, और घरवाले भी उसे सपोर्ट नहीं कर पा रहे थे।


मैंने महसूस किया कि अगर अभी उसकी मदद नहीं की गई, तो शायद उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ सकती है। और ये सोचकर ही मुझे अजीब सा लगा।



Real life story
Real Life Story



मैंने बिना ज़्यादा सोचे उससे कहा,

"मैं तुम्हारी फीस भर सकता हूँ। कुछ मत सोचो, जब कभी तुम्हारे पास पैसे होंगे, तब लौटा देना। वरना मत देना, कोई दिक्कत नहीं।"


उसके माता-पिता को भी यह बात पता थी, और उन्होंने भी शुक्रिया अदा किया। लेकिन सच कहूँ तो मैंने ये मदद किसी अहसान के तौर पर नहीं की थी। बस एक दोस्त होने के नाते, जो बन पड़ा वो किया।


ढाई साल तक कोई उम्मीद नहीं थी


इसके बाद वक़्त बीतता गया। ज़िंदगी अपनी रफ़्तार से चलती रही। उस लड़की से कभी-कभार बात हो जाती थी, लेकिन मैंने कभी भी पैसों की बात नहीं की।


देखते-देखते ढाई साल गुजर गए। इस बीच, न उसने पैसे लौटाने की बात की और न ही मैंने कभी मांगे। ये बस एक बीता हुआ एहसान था, जिसे मैंने कभी याद भी नहीं किया।


फिर अचानक अप्रैल के महीने में उसका मैसेज आया—

"यार, जुलाई में पैसे ले लेना!"

मैं थोड़ा चौंका, फिर मुस्कुराया। वो अब तक मेरे द्वारा की गयी मदद को नहीं भूली । लेकिन मैंने इस बात को ज़्यादा तवज्जो नहीं दी। मैं उस पैसे के बिना भी ठीक था... या कम से कम मुझे तब तक यही लगता था।


लेकिन फिर ज़िंदगी ने पलटी मारी


अप्रैल में जब उसने पैसे लौटाने की बात की थी, तब तक सब कुछ नॉर्मल था। लेकिन किसे पता था कि कुछ ही महीनों में मेरी ज़िंदगी पूरी तरह बदलने वाली थी!


अचानक मेरी नौकरी चली गई।

कोरोना की वजह से हालात पहले से ही खराब थे, और इस झटके ने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया। धीरे-धीरे बैंक बैलेंस भी खत्म होने लगा।


अब हालात ऐसे हो गए कि मुझे पैसों की बहुत सख्त जरूरत थी। दोस्तों  से मदद मांगना पड़ा, लेकिन कोई भी सही से सपोर्ट नहीं कर पा रहा था। ज़िंदगी में पहली बार मुझे महसूस हुआ कि जब सच में जरूरत पड़ती है, तो हर दरवाजा बंद नजर आता है।


उसी दौरान अचानक मुझे उस लड़की का अप्रैल वाला मैसेज याद आया— "जुलाई में पैसे ले लेना।"



जब सबसे ज़्यादा जरूरत थी, तब मदद मिली


जुलाई आ चुका था, और मेरे लिए यह समय सबसे मुश्किल था। मैं कई जगहों से कोशिश कर चुका था, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही थी।


इसी दौरान, उसी लड़की का फिर से एक मैसेज आया—

"यार, तुम्हारे पैसे मैं तुम्हें भेज रही हूँ!"


मुझे एक पल के लिए यकीन नहीं हुआ। जिस इंसान की मैंने ढाई साल पहले मदद की थी, उसी ने अब मुझे पैसे लौटाने की बात की थी—और वो भी ठीक उसी समय जब मुझे उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी! 


कुछ घंटों बाद उसने मुझे पैसे ट्रांसफर कर दिए। वो वही रकम थी जो मैंने कभी बिना किसी उम्मीद के उसकी फीस के लिए दी थी। 


लेकिन अब वो मेरे लिए सिर्फ पैसे नहीं थे—वो मेरे लिए एक सीख थी, एक विश्वास था कि ये दुनिया अब भी अच्छी है, और जो हम देते हैं, वो किसी न किसी रूप में हमारे पास लौटकर आता ही है। 


इस कहानी ने मुझे क्या सिखाया ?


उस दिन मुझे ज़िंदगी का एक बहुत बड़ा सबक मिला:


"अगर आप किसी की मदद करते हो, तो ईश्वर उसे कभी बेकार नहीं जाने देता। वो किसी न किसी रूप में, किसी न किसी समय, आपको वही लौटाता ज़रूर है।"

क्योंकि मेरी इस कहानी में उस लड़की को भी नहीं पता था कि जुलाई में मेरे ऊपर दिक्कत आएगी और न मुझे पता था ।  उसका जुलाई में पैसे देने के लिए मैसेज करना। दोस्तों ऊपर वाला उस इंसान की मदद जरूर करता है जो दूसरों की मदद करता है। इसलिए अगर हमें किसी कि मदद करने का मौका मिले तो मदद जरूर करनी चाहिए। 


हम अकसर सोचते हैं कि हम किसी की मदद करते हैं, तो शायद हमें उसका कोई फायदा नहीं मिलेगा। लेकिन ये घटना मेरे लिए सबकुछ बदलने वाली थी। मुझे समझ आया कि जो भी हम देते हैं, वो हम तक किसी और रास्ते से वापस आ ही जाता है।


इसलिए, जब भी मौका मिले, बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करो। यह मत सोचो कि बदले में क्या मिलेगा, क्योंकि जब सही समय आएगा, ज़िंदगी खुद तुम्हें वो लौटाएगी जिसकी तुम्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत होगी।


क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है?


अगर आपने भी कभी किसी की बिना किसी उम्मीद के मदद की हो, और वो किसी न किसी रूप में आपके पास वापस आई हो, तो अपना अनुभव कमेंट करके शेयर करें! आपकी कहानी किसी और को भी इंस्पायर कर सकती है।


धन्यवाद